राजस्थान के सिक्कों के अध्ययन को न्यूमोसमेटिक कहा जाता है तथा इन सिक्कों का अध्ययन 1893 मे ”द करेंसीज ऑफ द हिन्दू स्टेट राजपूताना “ मे कैब के द्वारा किया गया था | राजस्थान के सबसे प्राचीन सिक्के ” पंचमार्क” के सिक्के है |पंचमार्क के सिक्कों पर 5 आकर्तिया बनी होती है इसलिए इनको पंचमार्क राजस्थान के सिक्के कहा जाता है जो निम्न प्रकार है – (1) मछली (2 ) वृषण (3 ) हाथी (4 ) पेड़ (5 ) अर्द्धचंद्र कार | बाद मे आगे चल कर इन पंचमार्क सिक्कों को 1935 मे “जेम्स परिसेप “ द्वारा आहत सिक्के कहा गया था |
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!राजस्थान मे सर्वाधिक पंचमार्क सिक्के — रैढ़(टोंक) से 3075 सिक्के प्राप्त हुए थे तथा बाद मे दूसरे नंबर पर गुहारा (सीकर) से 2744 सिक्के प्राप्त हुए थे | सीकर से प्राप्त सिक्कों मे से 61 सिक्कों पर “थ्रीमैन” शब्द अंकित है |
शाशको द्वारा अपने शासन काल मे चलाए गए सिक्के ?
- सोने के सिक्के – कुषाण काल मे
- सीसे के सिक्के – सतवाहण काल मे
- चांदी के सिक्के – शक व शिथियन काल मे
- लेख युक्त सिक्के – यूनानी शाशको द्वारा
- रुपया – शेरशाह सूरी काल मे
नोट – ₹ का चिन्ह डी. उदयकूमार के द्वारा दिया गया था |
गुप्तकालीन सिक्के
- 1948 ई. हुल्लनपूरा गाँव(बयाना भरतपुर) मे गुप्तकालीन सिक्कों की खोज हुई थी |
कुषाण कालीन सिक्के
- कुषाण कालीन सिक्के रंगमहल हनुमानगढ़ राजस्थान से प्राप्त हुए थे |
- इन सिक्कों को भिरंडों कहा जाता है |
फाँदिया सिक्के
- चोहान साम्राज्य के पतन से लगातार 1540 . तक सम्पूर्ण राजस्थान मे प्रचलित स्वतंत्र मुद्रा फाँदिया कहलाती है |
एलची सिक्के
राजस्थान के सिक्के मेवाड़ रियासत मे मुगल बादशाह अकबर द्वारा प्रचलित सिक्के एलची सिक्के कहलाते है |
पारुथ दर्मो
राजस्थान के सिक्के पालवा के परमार शासकों द्वारा प्रचलित सिकके पारुथ दर्मो कहते है |
गथिया सिक्के
राजस्थान के सिक्के गधे के मुख जेसी आकर्ति बने सिक्के गाथिया सिक्के कहलाते है |
टकसाल
राजस्थान के सिक्के ढालने का स्थान टकसाल कहलाता है | राजस्थान राज्य की प्रथम टकसाल जयपुर /आमेर मे स्थापित की गई थी |
जयपुर रियासत के सिक्के
- राजपूताना का प्रथम राज्य जिसने स्वयं की टकसाल स्थापित की थी |
- 1728 ई. जयपुर टकसाल की स्थापना की गई थी |
- जयपुर टकसाल से जारी सिक्के पूरे हिन्दुस्तान में शुध्दता के लिए जाने जाते थे |
- माधो सिंह प्रथम के काल में जारी सिक्के हाली सिक्के कहलाए थे |
- सवाई रामसिंह द्वितीय एव सवाई माधो सिंह द्वितीय के काल में जयपुर रियासत मे सोने के सिक्को का प्रचलन था |
- जयपुर टकसाल का प्रतीक 6 पतियों वाली झाड़ / टहनी अंकित होती थी |
- जयपुर रियासत मे 6 स्थान पर टकसाल स्थापित थी (1) जयपुर (2)आमेर (3) सवाई माधोपुर (4) रूपवास (भरतपुर) (5) सुजानगढ़ (झुंझुनू) (6) खेतड़ी (झुंझुनू)
जयपुर रियासत में झाड़शाही, मुहम्मद शाही, गाथिया सिक्के प्रचलित थे |
मेवाड़ रियासत के सिक्के
- मेवाड़ में प्रारम्भिक सिक्के इंडो सेसेनियन शैली मे निर्मित थे |
- चित्तौड़ की टकसाल से जारी सिक्के अकबर के समय इन सिक्कों को एलची सिक्के कहते थे |
मेवाड़ मे प्रचलित सिक्के – चादोड़ी सिक्के, भीलड़ी सिक्के, त्रिसुलिया सिक्के , अरीशाही सिक्के , फतेशाही सिक्के , स्वरूपशाही सिक्के , चित्तौड़ी सिक्के, उदयपुरी सिक्के आदि
राजस्थान के सिक्के
1. | बीकानेर रियासत | गजशाही सिक्के |
2. | नागौर रियासत | अमरशाही सिक्के |
3. | कुचामन | इक्कतीसदा सिक्के |
4. | पाली | बीजेशाही सिक्के |
5. | सोजत | श्री महादेव जी अंकित सिक्के |
जोधपुर राज्य के सिक्के
जोधपुर में प्रथम बार स्वतंत्र टकसाल स्थापित करने वाले शासक विजय सिंह थे | जोधपुर रियासत के सिक्के चोकोर आकर्ति के होते थे जोधपुर मे निम्न टकसाल स्तापित थी जेसे – जोधपुर, कूचामन ,नागौर, सोजत, मेड़ता
जोधपुर रियासत के सिक्के – गजशाही , भीमशाही , विजयशाही
हाड़ोती रियासत के सिक्के
हाड़ोती में 3 जिले आते है कोटा , बूंदी ,टोंक (1) कोटा – गुमानशाही , मदनशाही , हाली सिक्के (2) बूंदी – रामशाही , कतारशाही , चहरेशाही (3) टोंक – चवरशाही सिक्के |
वागड़ रियासत के सिक्के
प्रतापगढ़ – मुबारक शाही सिक्के
डूंगरगढ़ – उदयशाही , पन्नीसीरिया सिक्के
बांसवाड़ा – सालीमशाही , लक्ष्मणशाही